
हमारी विचारधारा
बालक प्रकृति की अनमोल दे है……..
बालक प्रकृति की सुन्दरतम् कृति है……
बालक प्रकृति की सबसे निर्दोष वास्तु है……
बालक मनोविज्ञान का मूल है….
बालक मानव – जगत का निर्माता है…..
बालक के विकास पर राष्ट्र का विकास निर्भर है…..
बालक की सेवा ही राष्ट्र की और विश्व की सेवा है…..
– वंशीधर
बालक के सम्बन्ध में एक ही विचार सत्य है, और वह यह है कि माता – पिता या अभिभावकों तथा शिक्षकों को यह ख्याल छोड़ देना चाहिये कि उन्हें बालकों को कुछ सिखाना है | बालक में अमुक शक्ति भरी हुई ही है | उस शक्ति को साथ लेकर ही बालक जन्म लेता है | उस शक्ति का पूर्णरूपसे विकास हो सके ऐसा अनुकूल वातावरण निर्माण करना ही हमारा परम कर्तव्य है |